कांवड़ मार्ग के दुकानदारों को नहीं लगानी होगी नामपट्टिका : सुप्रीम कोर्ट

हलफनामे के बाद भी यूपी सरकार के आदेश पर रोक जारी

सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकारों द्वारा कांवड़ मार्ग पर स्थित दुकानदारों को नामपट्टिका लगाने के आदेश पर अंतरिम रोक जारी रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के हलफनामे के बाद भी आदेश पर रोक जारी रखी है। इससे पहले उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया, जिसमें सरकार ने कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर नामपट्टिका लगाने के अपने आदेश का बचाव किया। यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि उसके दिशा-निर्देश कांवड़ यात्रा के शांतिपूर्ण समापन और पारदर्शिता कायम करने के लिए उद्देश्य से दिए गए थे। उतराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने का समय दिया है. यूपी सरकार ने हलफनामा दाखिल कर दिया.  अब अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मुझे यूपी का जवाब आज सुबह मिला है. यूपी की तरफ से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि यूपी ने अपना जवाब दाखिल कर दिया. उत्तराखंड ने कहा कि दो हफ्ते का समय चाहिए, जवाब दाखिल करने के लिए. मध्य प्रदेश ने कहा कि उनके प्रदेश मे ऐसा नहीं हुआ सिर्फ उज्जैन म्युनिसिपल ने जारी किया था, लेकिन कोई दबाव नहीं डाला गया है. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जवाब में यूपी सरकार ने स्वीकार किया है कि कम समय के लिए ही सही हमने भेदभाव किया है. मुकुल रोहतगी ने कहा कि हम एकपक्षीय आदेश से पीड़ित हैं, जिसका जीवनकाल समाप्त हो जाएगा.  अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस पर अभी भी समय रहते निर्णय लिया जा सकता है .पिछले 60 वर्षों से नाम नहीं मांगे गए.  यूपी हलफनामे में भेदभाव की बात स्वीकार की गई है, कहा गया है कि यह केवल अस्थायी है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने हलफनामा पढ़ा नहीं है. हमें कल रात को ही ये मिला है. तो इसे सभी जगह लागू किया जाना चाहिए, सिर्फ कुछ राज्यों में नहीं. पूरे भारत में इसे लागू करने का दावा पेश करें.

उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया क्यों लागू किया था नामपट्टिका वाला आदेश

उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि निर्देश के पीछे का उद्देश्य कांवड़ यात्रा के दौरान पारदर्शिता कायम करना और यात्रा के दौरान उपभोक्ताओं/कांवड़ियों को उनके द्वारा खाए जाने वाले भोजन के बारे में जानकारी देना था। ये निर्देश कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर दिए गए ताकि वे गलती से कुछ ऐसा न खाएं, जो उनकी आस्थाओं के खिलाफ हो।

यूपी सरकार का हलफनामा

यूपी सरकार ने अपने जवाब मे कहा है कि राज्य द्वारा जारी निर्देश दुकानों और भोजनालयों के नामों से होने वाले भ्रम के बारे में कांवड़ियों की ओर से मिली शिकायतों के बाद किए गए थे.  ऐसी शिकायतें मिलने पर पुलिस अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों की चिंताओं को दूर करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कार्रवाई की. यूपी सरकार ने कहा है कि राज्य ने खाद्य विक्रेताओं के व्यापार या व्यवसाय पर कोई प्रतिबंध या निषेध नहीं लगाया है (मांसाहारी भोजन बेचने पर प्रतिबंध को छोड़कर), और वे अपना व्यवसाय सामान्य रूप से करने के लिए स्वतंत्र हैं. ⁠मालिकों के नाम और पहचान प्रदर्शित करने की आवश्यकता पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कांवड़ियों के बीच किसी भी संभावित भ्रम से बचने के लिए एक अतिरिक्त उपाय मात्र है.

कोर्ट ने एकतरफा दिया आदेश- यूपी सरकार के वकील

यूपी सरकार के वकील ने कहा कि बोर्ड पर मालिक का नाम लिखने के लिए कहना गलत नहीं है, बल्कि कानून की भी आवश्यकता है. कोर्ट ने एकतरफा आदेश दिया है, जिससे हम सहमत नहीं है. उत्तराखंड के वकील ने कहा कि कानून के अनुसार, अनिवार्य रूप से प्रदर्शन किया जाना चाहिए. यात्राएं सालों से होती आ रही हैं. कुछ उप-नियम हैं जिन्हें हम लागू कर रहे हैं, खास तौर पर कांवड़ियों के लिए हमने इस साल कोई उप-नियम जारी नहीं किया है. यह कहना गलत है कि मालिक का नाम प्रदर्शित करने के लिए कोई कानून नहीं है. मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्हें अदालत को यह दिखाना चाहिए था कि एक केंद्रीय कानून है. हमने कल निर्देश जारी किए हैं कि आपको यह कानून सभी पर लागू करना होगा.

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