कंपिल, समृद्धि न्यूज। जैनधर्म के 13वें तीर्थंकर भगवान विमलनाथ के जन्म, तप व ज्ञान प्राप्ति के कल्याणक क्षेत्र कंपिल में गच्छाधिपति शांतिदूत जैनाचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरीश्वर महाराज के पहली बार आगमन पर जोरदार स्वागत किया गया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने आरती भी उतारी।
चेन्नई से निकलने के बाद करीब 115 दिनों में करीब 3000 किलो मीटर की पद यात्रा करते हुए सूरीश्वर महाराज बुधवार सुबह कंपिल पहुंचे। यहां विमालयतन ट्रस्ट के महामंत्री पुखराज डागा ने अन्य श्रद्धालुओं के साथ महाराज जी का जोरदार स्वागत किया। उनके साथ मुनिराज मोक्षानंद विजय, मुनि ज्ञानानंद विजय, मुनि श्री मोक्षयश विजय और चार साध्वी महाराज की पद यात्रा में सम्मिलित हैं। जीवन में प्रथम बार उनका कंपिल में आगमन होने से जैन समाज के लोगों में भारी उत्साह है । गुरुजनों के स्वागत और दर्शन के लिए दिल्ली, आगरा, मेरठ, लुधियाना, लखनऊ, मुंबई, कानपुर, मुरादाबाद आदि अनेक शहरों से श्रद्धालु भी कंपिल पहुंचे। मुनिमोक्षानंद विजय महाराज ने बताया कि गच्छाधिपति जैनाचार्य ने 56 वर्षों के साधु जीवन में पूरे देश में करीब पौने दो लाख किलो मीटर की पद यात्रा की है। मात्र पौने नो वर्ष की अल्प आयु में अपने माता पिता और दो बड़े भाइयों के साथ उन्होंने उत्तर प्रदेश के बड़ौत नगर में जैन दीक्षा अंगीकार करके साधु जीवन ग्रहण कर लिया था । जैनाचार्य की प्रेरणा से करीब 250 से ज्यादा प्राचीन और अर्वाचीन तीर्थों मंदिरों के जीर्णोद्धार और नवनिर्माण करवाकर प्राण प्रतिष्ठाएं सम्पन्न हुई हैं। देश के कई राज्यों में अनेक स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल, गौशालाएं आदि स्थापित करवाई हैं। जन सेवा और जीव दया के निमित्त आचार्य की प्रेरणा से अगणित कार्य हुए हैं। पद यात्रा के दौरान सामान्य जनता तक पहुंच कर उन्हें व्यसन मुक्त और शाकाहार जीवन जीने की कला सिखाते हैं। जन-जन में परस्पर प्रेम, सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीयता की भावना का संचार करते हैं। आत्म निर्भर भारत के लिए अपने प्रवचनों के द्वारा जनता को जागृत करते हैं। आचार्य ने बताया कि जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए हैं। अधिकांश तीर्थंकरों का आविर्भाव उत्तर प्रदेश की धरती पर ही हुआ है। जिनमें से 13वें तीर्थंकर विमलनाथ भगवान के चार कल्याणक यानि च्यवन, जन्म, दीक्षा और केवल ज्ञान कंपिल में हुए हैं। इसलिए जैन धर्म में यह बहुत बड़ा तीर्थ माना गया है। तीर्थ यात्रा करने से पापों का नाश होता है और भव सागर से पार उतार कर आत्मा को मुक्ति तक पहुंचाने में तीर्थों की यात्रा का बड़ा महत्व होता है। कंपिल जैन श्वेतांबर तीर्थ के पुखराज डागा ने बताया कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने दो वर्ष पूर्व जैनाचार्य के सान्निध्य में राष्ट्र संत आचार्य विजय वल्लभ सूरि महाराज की सबसे बड़ी मूर्ति स्टेच्यू ऑफ पीस का ई-लोकार्पण किया था और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्ययोगी नाथ ने अपनी मंगल कामनाएं वीडियो संदेश द्वारा प्रेषित की थी। सूरीश्वर महाराज ने कंपिल नगरी में दिन भर रुककर जैन धर्मस्थलों का दर्शन कर शाम करीब 6 बजे अपनी आगे की यात्रा शुरू की। इस दौरान जैन मुनि के दर्शनार्थ एसपी अशोक कुमार मीणा, डीएम संजय कुमार सिंह के साथ साथ आसपास जिलों से अनेक श्रद्धालु कंपिल पहुंचे। डीएम व एसपी जैन मुनि को जिले के बार्डर तक छोडऩे उनके साथ गए।