पचास वर्ष का सफर तय कर चुके कायमगंज चीनी मिल की मशीनें हुई जर्जर

जंग लगी मशीनें दिन में कई बार देती धोखा, गन्ना तौल में लग रहे तीन-चार दिन
थक हारकर रुपापुर चीनी मिल की ओर रुख करते किसान, किसान में रोष व्याप्त
कायमगंज, समृद्धि न्यूज। लगभग पचास वर्ष का सफर तय कर चुके कायमगंज चीनी मिल की हालत अब खस्ता हो चली गयी। जिसके कारण किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गन्ना लेकर आने वाले किसानों का कहना है कि उन्हें मिल में कितना समय लग जाये कुछ कहा नहीं जा सकता। कभी-कभी तो तीन से चार दिन तक भी लग जाते हैं। खराब होने पर मिल को बंद कर दिया जाता है और ठीक कर पुन: चालू कर दिया जाता है। किसानों का कहना है कि चीनी मिल मरहम पट्टी के सहारे चल रहा है। जिस कारण अधिकांश किसान रुपापुर चीनी मिल में गन्ना ले जाने को मजबूर हैं।जानकारी के अनुसार कायमगंज चीनी मिल की स्थापना वर्ष 1974 में हुई थी। शुरुआत में तो मिल धुआंधार चला, लेकिन समय के साथ-साथ मशीनें जर्जर होती चली गयीं। आज हालत यह है कि मिल कब बंद हो जाये कुछ कहा नहीं जा सकता है। जिससे यहां गन्ना लेकर आने वाले किसानों को दो, तीन अथवा चार दिन तक लग जाते हैं। किसान मुकेश पुत्र चिरौंजीलाल निवासी शाहपुर गंगपुर थाना कम्पिल ने बचाया कि बीच-बीच में मशीन खराब होने के कारण चार से पांच दिन लग जाते हैं। विनोद पुत्र आज्ञारपाम निवासी ममापुर थाना कायमगंज ने बताया कि आज वह पांच दिन से यहां पर गन्ना लेकर खड़े हैं। मशीन खराब होने के कारण भीषण सर्दी में हमको यहां रुकना पड़ता है। आलोक पुत्र दातारम निवासी हल्दीखेड़ा थाना कम्पिल ने बताया की हमें ट्रैक्टर द्वारा गन्ना लाये चीनी मिल में तीन दिन हो गये हैं। अभी तक हमारा गन्ना नहीं तौला जा सका। सोमवार को सुबह 6 बजे मिल चालू हुई। वहीं जसवीर सिंह पुत्र रामलडै़ते निवासी सवितापुर बिहारीपुर थाना कम्पिल ने बताया हमें भी चीनी मिल गन्ना लेकर खड़े हुए चार दिन हो गये हैं। कई किसान जब परेशान हो जाते हैं, तो वह अपना गन्ना लेकर रुपापुर चीनी मिल चले जाते हैं। किसानों का कहना है कि आज चीनी मिल को नई मशीनों की जरुरत है। जिससे किसानों का गन्ना समय पर तौला जा सके।

क्या बोले जिम्मेदार
जब इस संबंध में चीनी मिल के जीएम कुलदीप सिंह पटेल से बात की गयी, तो उन्होंने बताया कि कभी-कभी मशीनों में कुछ कमी आ जाती है। जिसे ठीक कराकर मिल को पुन: चालू करवा दिया जाता है। मशीनों काफी पुरानी हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि जिन किसानों को जल्दी होती है, तो वह अपना गन्ना लेकर रुपापुर चीनी मिल जाते हैं।

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