रूस-यूक्रेन युद्ध को आज एक हज़ार दिन पूरे हो चुके हैं. 22 फरवरी से जारी जंग के बीच मंगलवार को कुछ ऐसा हुआ है जिससे यह जंग और भीषण हो सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूक्रेनी सेना ने पुतिन की खींची रेड लाइन को पार करते हुए लंबी दूरी की मिसाइलों से हमला किया है. अमेरिका से फ्री हैंड मिलने के बाद यूक्रेन ने पहली बार रूसी क्षेत्र में अमेरिका से मिली लंबी दूरी की मिसाइल का इस्तेमाल किया है. RBC यूक्रेन की रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन की सेना ने रूसी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बॉर्डर एरिया में अमेरिका से मिली ATACMS मिसाइलें दागी हैं, जिसकी पुष्टि रूस ने भी कर दी है. रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन सैनिकों ने रात में ब्रांस्क क्षेत्र में एक लक्ष्य पर 6 ATACMS मिसाइलों से हमला किया. RIA नोवोस्ती ने मंत्रालय के हवाले से बताया है कि रूस के मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने इनमें से 5 मिसाइलों को मार गिराया और एक अन्य मिसाइल को भी क्षतिग्रस्त करने में कामयाब रहा. लेकिन मिसाइल के टुकड़े सैन्य सुविधा के तकनीकी क्षेत्र में गिर गए, जिससे आग लग गई. इन मिसाइल हमलों से रूस में कोई हताहत या क्षति नहीं हुई. रूसी सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष और पुतिन के करीबी दिमत्री मेदवेदेव ने यूक्रेन को मिसाइल दागने की अनुमति देने के अमेरिका के फैसले की निंदा की। दिमत्री ने तीसरे विश्व युद्ध की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि रूस के खिलाफ दागी गईं मिसाइलों को हमला माना जाएगा। इसके जवाब में रूस यूक्रेन और नाटो के ठिकानों पर कार्रवाई कर सकता है। इसका मतलब है तीसरे विश्व युद्ध का समय आ गया है। यह जमीन से जमीन पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है, जो 300 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्य को भेद सकती है। लंबी दूरी तक मार करने की वजह से ही यह मिसाइल यूक्रेन के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है। वहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को एक अहम फैसले के तहत संशोधित परमाणु नीति पर हस्ताक्षर किए हैं। पुतिन द्वारा संशोधित परमाणु नीति पर हस्ताक्षर के कदम को भी बाइडन के फैसले का ही जवाब माना जा रहा है। रूस की नई परमाणु नीति में ये प्रावधान किया गया है कि रूस पर अगर बड़े पैमाने पर हवाई हमला होता है तो उसके जवाब में रूस परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर सकता है।
परमाणु तबाही लाएंगे पुतिन?
यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश के परमाणु सिद्धांत में बदलाव को मंजूरी दे दी है. रूस के न्यूक्लियर हथियारों के इस्तेमाल से जुड़े इस नियम के अनुसार अगर कोई देश किसी परमाणु शक्ति वाले देश के साथ मिलकर रूस पर मिसाइल हमला करता है, तो ऐसी स्थिति में रूस न्यूक्लियर हथियार का इस्तेमाल कर सकता है. यही नहीं रूस के न्यूक्लियर सिद्धांतों में हुए बदलाव के अनुसार, रूस के खिलाफ किया गया हमला, अगर किसी गठबंधन के सदस्य देश की ओर से होता है तो मॉस्को इस आक्रमण को पूरे गठबंधन की ओर से किया गया हमला मानेगा. यानी अगर अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल रूस के खिलाफ होता है तो रूस इसके लिए पूरे NATO गठबंधन को जिम्मेदार मानेगा.