फर्जी सर्टिफिकेट देकर IAS बनी महिला

सिविल सेवा परीक्षा से जुड़ा एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर हर कोई हैरान हो गया है। महाराष्ट्र कैडर की 2022 बैच की IAS अधिकारी पूजा खेडकर पर कथित तौर पर फर्जी सर्टिफिकेट जमा कर के सिविल सेवा परीक्षा पास करने का आरोप है। कुछ दिनों से इस हैरान कर देने वाले मामले की सोशल मीडिया पर भी जमकर चर्चा हो रही है।

आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए फर्जी दिव्यांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) प्रमाण पत्र जमा किए थे। मामला तब चर्चा में आया जब एक दिन पहले ही प्रोबेशन पूरा कर रही अधिकारी को पद के दुरुपयोग की शिकायतों के बाद पुणे से वाशिम ट्रांसफर कर दिया गया।

जानकारी के मुताबिक, आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर अपनी निजी ऑडी कार पर लाल-नीली बत्ती और वीआईपी नंबर प्लेट का इस्तेमाल करती थीं। एक अधिकारी ने बताया है कि खेडकर ने ओबीसी और दृष्टिबाधित श्रेणियों के तहत सिविल सेवा परीक्षा दी थी और मानसिक बीमारी का प्रमाण पत्र भी दिया था। जब अधिकारी को दिव्यांगता प्रमाण पत्र के सत्यापन के लिए एम्स दिल्ली जाने को कहा गया तो वह कोरोना का हवाला देते हुए वहां नहीं गई।

आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर भी महाराष्ट्र सरकार में के पूर्व अधिकारी हैं। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में दिलीप खेडकर ने 40 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी। हालांकि, एक अधिकारी ने बताया है कि पूजा खेडकर ने ओबीसी श्रेणी के तहत सिविल सेवा परीक्षा दी, जहां पर क्रीमी लेयर की सीमा आठ लाख रुपये वार्षिक पैतृक आय है।

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