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लोहिया अस्पताल का हाल बेहाल… स्ट्रेचर न मिलने से दो मंजिल वार्ड से मरीज को गोद में उठाकर लाया तीमारदार

फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। सपा शासनकाल में जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवायें मुहैया कराने के उद्देश्य से डॉ0 राम मनोहर लोहिया अस्पताल की स्थापना की गयी थी। जो सभी सुविधाओं से सुसज्जित था, लेकिन अस्पताल में सभी सुविधायें होने के बाद भी यहां इलाज के लिए आने वाली जनता परेशान है। ज्यादातर मरीजों को यहां से डाक्टर रेफर कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। कई असहाय मरीज स्ट्रेचर के अभाव में मरीजों को ठिलिया तथा स्वयं उठाकर अस्पताल तक ले जाते हैं।
जानकारी के अनुसार शुक्रवार को सुबह शकुंतला उम्र 35 वर्ष पत्नी राम प्रताप निवासी बहबलपुर थाना अमृतपुर की निवासिनी है। बीते दिन उसकी तबियत खराब होने पर उसके पति ने उसे डॉ0 राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन उसकी हालत में सुधार न होने पर चिकित्सक ने उसे बाहर ले जाने की सलाह दी। जिस पर वह काफी देर तक स्ट्रेचर का इंतजार करता रहा, जब उसे स्ट्रेचर नहीं मिला, तो वह पत्नी को गोद में लोहिया अस्पताल से बाहर तक लेकर आया। तब वाहन में बैठाया। कितने शर्म की बात है कि डॉ0 राम मनोहर लोहिया अस्पताल में तैनात चिकित्सक तथा कर्मचारी डियूटी के दौरान अपने फर्ज को भूल जाते हैं और मरीजों को उनके हाल पर छोड़ देते हैं। थोड़ा बहुत भी मरीज सीरियस पहुंच जाये, तो उसे तुरंत बाहर के लिए रेफर कर देते हैं। मरीज के साथ कोई प्रयास नहीं करते हैं। जबकि सरकार से लाखों रुपया हर माह वेतन लेते हैं। चिकित्सक जितना वेतन लेते हैं, उतना तो काम भी नहीं करते हैं। ऊपर से प्राइवेट प्रैक्टिस कर लाखों के बारे न्यारे कर रहे हैं। जब इस संबंध में मुख्य चिकित्साधीक्षक से अशोक प्रियदर्शी से बात करनी चाही, तो उन्होंने अपना फोन तक उठाना गवारा नहीं समझा।

अधिकांश चिकित्सक कक्षों से रहते गायब

अधिकांश चिकित्सक लेट लतीफ तो आते ही है, साथ ही कक्ष खोलकर गायब हो जाते हैं। बेचारे मरीज घंटों इंतजार करने के बाद जब थक जाते हैं, तो घरों को लौट जाते हैं। जब कभी भी कोई अधिकारी निरीक्षण करता है, तो फटकार लगाकर चला जाता है, लेकिन डाक्टर हैं कि अपना रवैया सुधारने का नाम ही नहीं लेते हैंं। जबकि दूरदराज से आने वाले मरीज किराया भाड़ा इस आस में खर्च कर आते हैं कि वह दवा लेकर ठीक हो जायेंगे, लेकिन डाक्टर न मिलने से वह बगैर दवा लिये ही अपने-अपने घरों को बैरंग लौट जाते हैं।

मीनू के अनुसार नहीं मिलता खाना

यहां भर्ती होने वाले मरीजों का कहना है कि उन्हें कभी भी मीनू के अनुसार खाना आदि नहीं मिलता है। जबकि कागजों पर मीनू के अनुसार खाना दिया जाना दर्शाया जाता है। जबकि दिया कुछ और ही जाता है। मरीजों का कहना है कि वार्डों में पोंछा आदि न लगने से वार्ड में बदबू आती रहती है। साथ ही बेडों की चादर आदि भी नहीं बदली जाती हैं। जिससे उन्हें काफी दिक्कत होती है।

शुक्रवार को पर्चा बनवाने के लिए उमड़ी भीड़

शुक्रवार को काफी संख्या में मरीज दिखाने पहुंचे। रजिस्ट्रेशन काउंटर पर मरीजों की भारी भीड़ देखी गयी। व्यवस्था चाक चौबंदन होने से मरीजों व तीमारदारों को रजिस्ट्रेशन करवाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्हें कई घंटे लाइन में लगना पड़ा। ऐसे में वृद्ध मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी हुई, क्योंकि वह ज्यादा देर तक खड़े नहीं रह सकते हैं।

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