कृष्ण भगवान ने गोवर्धन पर्वत उठाकर तोड़ा इंद्र का अहंकार: सुनील शास्त्री

फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। कृष्णा नगर कॉलोनी कादरी गेट में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन गोवर्धन भगवान की कथा सुनाई गयी।
कथाव्यास आचार्य सुनील शास्त्री ने अपने मुखा बिंदु से भगवान गोवर्धन की कथा सुनाई, साथ ही माखन लीला का वर्णन कर कहा मतलबी मित्र मिलने की अपेक्षा, शत्रु का मिलना अच्छा है। उन्होंने कहा कि देशभक्ति का जजवा हर प्राणी में होना चाहिए।
उन्होंने कथा सुनाते हुए कहा कि देवराज इंद्र को अपनी पूजा आदि किए जाने का अहंकार हो गया। उस समय द्वापर में धरती पर लीला कर रहे भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव को रास्ता दिखाने की सोची। जब एक दिन सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे थे और इंद्र की पूजा की तैयारी कर रहे थे तो कान्हा ने मां यशोदा से पूछा मईया ये आप लोग किसकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं मां यशोदा ने कहा लल्ला हम देवराज इन्द्र की पूजा करने जा रहे हैं। वह वर्षा करते हैं जिससे हमारी फसलें उगती हैं। भगवान कृष्ण ने कहा, मईया हमें तो गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि हमारी गायें वहीं चरती हैं। इन्द्र का दर्शन भी नहीं होता और वह तो पूजा न करने पर क्रोधित होते हैं। ऐसे अहंकारी की पूजा नहीं करनी चाहिए। कृष्ण की इस सलाह पर सभी बृजवासी इंद्र की पूजा के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा की। इंद्र ने इसे अपना अपमान समझा और कुपित होकर मूसलधार वर्षा शुरू कर दी। इस बारिश ने सभी बृजवासियों को भयभीत कर दिया और उन्होंने भगवान कृष्ण को दोषी ठहराना शुरू कर दिया और बचाने के लिए उन्हें ही कुछ करने के लिए कहने लगे।
इस पर भगवान कृष्ण ने सभी ब्रजवासियों को गोवर्धन पर्वत के पास इक_ा होने के लिए कहा, अपनी मुरली को कमर में बांधकर अपनी कनिष्ठा अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और सभी ब्रजवासियों को अपने गाय और बछड़ों के साथ गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण लेने के लिए बुलाया। इस पर इंद्र का क्रोध और बढ़ गया और उन्होंने बारिश की तीव्रता को और भी बढ़ा दिया। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए, भगवान कृष्ण ने सुदर्शन चक्र को आदेश दिया कि वह पर्वत के ऊपर रहकर वर्षा की गति को नियंत्रित करें। उन्होंने शेषनाग से भी कहा कि वह मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की ओर आने से रोकें। इस प्रकार भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों की रक्षा की। वहीं भागवत कथा में पांचाल घाट स्थित दुर्वासा ऋषि आश्रम के महंत ईश्वदास ब्रह्मचारी महाराज ने पहुंचकर भक्तों को आशीर्वाद दिया। उन्होंने सभी को एक सूत्र में रहने का महामंत्र दिया। उन्होंने कहा कि कथनी और करनी समान होगी, तभी स्वयं का कल्याण होगा और देश महान बनेगा। इस मौके पर जितेंद्र कुमार मिश्रा, सुआ लाल, आनंद मिश्रा, वरुण पाण्डेय, आशीष कुमार, जितेंद्र कुमार सिंह, शिवम् त्रिपाठी, मुकेश, सत्यम, मधुरेश आदि लोग मौजूद रहे।

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