फर्रूखाबाद, समृद्धि न्यूज। भगवान विष्णु ने परशुराम अंश के रूप में उस भृगु कुल में अवतार लिया। जिस भृगु के पाद-प्रहार को अपने वक्ष:स्थल पर सहा।
मृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदिग्न के पुत्र प्राप्ति की लिए यज्ञ किया और देवराज इंद्र को प्रसन्न कर पुत्र प्राप्ति का वरदान पाया। महर्षि की पत्नी रेणुका ने वैसाख शुक्ल तृतीया पक्ष में परशुराम को जन्म दिया था।
कांगे्रस नेता व अधिवक्ता अंकुर मिश्रा हनी ने बताया ऐसा माना जाता है कि जब पृथ्वी पर बुराई हर तरफ फैल रही थी आतताई योद्धा वर्ग हथियारों को लेकर अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर लोगों पर अत्याचार कर रहे थे। ऐसे में पृथ्वी मां ने आतताइयों की संहार करने के लिए विष्णु से प्रार्थना की। विष्णु के छठे अवतार के रुप में परशुराम ने जन्म लेकर आतताइयों को समाप्त किया।
अखिल भारत हिन्दू महासभा के जिलाध्यक्ष क्रांति पाठक ने बताया भगवान परशुराम एक शस्त्र गुरु थे। उन्होंने भीष्म पितामाह, द्रोणाचार्य आदि को शस्त्र विद्या सिखायी। इसलिए वह शस्त्र गुरु कहलाये। उन्हें राम भार्गव और वीरराम भी कहा जाता है। अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम की जयंती मनायी जाती है। सनातन धर्म में भगवान परशुराम की पूजा होती है।
मदन मोहन कनोडिया बालिका इंटर कालेज की शिक्षिका पूनम शुक्ला ने बताया कि भगवान परशुराम ब्राह्मण समाज के पुरोधा हैं। उनसे हमें सीख लेनी चाहिए। उन्होंने हमेशा पृथ्वी को सुंदर और पापी शक्तियों से बचाने का कार्य किया। वह हमारे समाज के गौरव है। हम भगवान परशुराम का जन्मोत्सव १० मई को धूमधाम से मनायेंगे और हम अपने घरों में हवन पूजन करेंगे।