ग्रीष्म ऋतु में लू (हीट स्ट्रोक)/गर्म हवाओं का प्रकोप से बचाव के लिए अपर जिलाधिकारी (वित्त/राजस्व) महेंद्र कुमार सिंह ने दिये आवश्यक दिशा निर्देश
अयोध्या। ग्रीष्म ऋतु में लू (हीट स्ट्रोक)/गर्म हवाओं का प्रकोप निरंतर बढ़ रहा है और अब इसका असर भी देखने को मिल रहा है।इसी लू (हीट स्ट्रोक)/गर्म हवाओं से बचाव को लेकर गुरुवार को अपर जिलाधिकारी (वित्त/राजस्व) महेन्द्र कुमार सिंह ने जनहित में आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया है।श्री सिंह बताया कि लू (हीट स्ट्रोक) भारतीय व अंतर्राष्ट्रीय मानकों के निम्नानुसार है।भारत मौसम विभाग के अनुसार जब किसी जगह का स्थानीय तापमान लगातार तीन दिन तक वहां के सामान्य तापमान से तीन डिग्री सेल्सियस या अधिक बना रहे तो उसे लू या हीट वेव कहते है।विश्व मौसम संघ के अनुसार यदि किसी स्थान का तापमान लगातार पांच दिन तक सामान्य स्थानीय तापमान से पांच डिग्री सेल्सियस अधिक बना रहे अथवा लगातार दो दिन तक 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक का तापमान बना रहे तो उसे हीट वेव या लू कहते है।जब वातावरणीय तापमान 37 डिग्री सेल्सियस तक रहता तो मानव शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव नही पड़ता है।जैसे ही तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बढ़ता है तो हमारा शरीर वातावरणीय गर्मी को शोषित कर शरीर के तापमान को प्रभावित करने लगता है। गर्मी में सबसे बड़ी समस्या होती है लू लगना।अंग्रेजी में इसे (हीट स्ट्रोक) या सन स्टोंक कहतें है। गर्मी में उच्च तापमान में ज्यादा देर तक रहने या गर्म हवा के झोंको से सम्पर्क में आने पर लू लगती है।
कब लगती है लू
गर्मी में शरीर के द्रव्य बाडी फल्यूड सूखने लगती हैं।शरीर से पानी नमक की कमी होने पर लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है।
निम्न स्थितियों में लोगों को लू लगने की संभावना अधिक रहती हैं-
1-शराब की लत हृदय रोग पुरानी बीमारियों मोटापा, पार्किसंस रोग अधिक उम्र अनियंत्रित मधुमेह।
2-ऐसी कुछ औषधियों जैसे डाययूरेटिक,एंटीहिस्टामिनिक मानसिक रोग की कुछ औषधियों।
हीट स्ट्रोक के लक्षण
1-गर्म लाल शुष्क त्वचा का होना,पसीना न आना।
2-तेज पल्स होना
3-उथले श्वास गति में तेजी।
4-व्यवहार में परिवर्तन,भ्रम की स्थिति।
5-सिरदर्द,मितली,थकान और कमजोरी होना चक्कर आना।
6-मूत्र न होना अथवा इसमें कमी।
उपरोक्त लक्षणों के चलते मनुष्यो के शरीर में निम्नलिखित प्रभाव पड़ता है-
1-उच्च तापमान से शरीर के आंतरिक अंगों विशेष रूप से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है तथा शरीर में उच्च रक्तचाप उत्पन्न करता हैं।
2-मनुष्य के हृदय के कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न होता हैं।
3-जो लोग एक या दो घण्टे से अधिक समय तक 40.6 डिग्री सेल्सियस 105 डिग्री एफ या अधिक तापमान अथवा गर्म हवा में रहते है तों उनके मस्तिष्क में क्षति होने की संभावना प्रबल हो जाती है।
हीट स्ट्रोक से बचने के उपाय (क्या करें/क्या न करें)-
हीट वेव की स्थिति शरीर की कार्य प्रणाली पर प्रभाव डालती है,जिससे मृत्यु भी हो सकती है। इसके प्रभाव को कम करने के लिए निम्न तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए।
क्या करें-
1-प्रचार माध्यमों पर हीट वेव/लू की चेतावनी पर ध्यान दें।
2-अधिक से अधिक पानी पिएं, यदि प्यास न लगी हो तब भी।
3-हल्के रंग के पसीना शोषित करने वाले हल्के वस्त्र पहनें।
4-धूप के चश्मे,छाता,टोपी व चप्पल का प्रयोग करें।
5-अगर आप खुले में कार्य करते है तो सिर,चेहरा,हाथ पैरो को गीले कपड़े से ढके रहें तथा छाते का प्रयोग करें।लू से प्रभावित व्यक्ति को छाया में लिटाकर सूती गीले कपड़े से पोछे अथवा नहलाये तथा चिकित्सक से सम्पर्क करें।
6-यात्रा करते समय पीने का पानी अपने साथ ले जाए।
7-ओ.आर.एस,घर में बने हुये पेय पदार्थ जैसे लस्सी, चावल का पानी (माङ),नींबू पानी,छाछ आदि का उपयोग करें,जिससे कि शरीर में पानी की कमी की भरपाई हो सके।
8-हीट स्ट्रोक,हीट रैश,हीट कैम्प के लक्षणों जैसे कमजोरी, चक्कर आना,सिरदर्द,उबकाई, पसीना आना,मूर्छा आदि को पहचानें।
9-यदि मूर्छा या बीमारी अनुभव करते है तो तुरन्त चिकित्सीय सलाह लें।
10-अपने घरों को ठंडा रखें,पर्दे दरवाजे आदि का उपयोग करें। तथा शाम/रात के समय घर तथा कमरों को ठंडा करने हेतु इसे खोल दें।
11-पंखे,गीले कपड़ों का उपयोग करें तथा बारम्बार स्नान करें।
12-कार्यस्थल पर ठण्डे पीने का पानी रखें/उपलब्ध करायें।
13-कर्मियों को सीधी सूर्य की रोशनी से बचने हेतु सावधान करें।
14-श्रमसाध्य कार्यों को ठंडे समय में करने/कराने का प्रयास करें।
15-घर से बाहर होने की स्थिति में आराम करने की समयावधि तथा आवृत्ति को बढ़ाये।
16-गर्भस्थ महिला कर्मियों तथा रोगग्रस्त कर्मियों पर अतिरिक्त ध्यान देना चाहिए।
क्या न करें-
1-जानवरों एवं बच्चों को कभी भी बन्द/खड़ी गाडियों में अकेला न छोड़ें।
2-दोपहर 12 से तीन बजे के मध्य सूर्य की रोशनी में जाने से बचें। सूर्य के ताप से बचने के लिये जहां तक संभव हो घर के निचली मंजिल पर रहें।
3-गहरे रंग के भारी तथा तंग कपड़े न पहनें।
4-जब बाहर का तापमान अधिक हो तब श्रमसाध्य कार्य न करें।
5-अधिक प्रोटीन तथा बासी एवं संक्रमित खाद्य एवं पेय पदार्थों का प्रयोग न करें।अल्कोहल, चाय व कॉफी पीने से परहेज करें।