रमजान में हर नेकी का सबाब 70 गुना ज्यादा
छिबरामऊ कन्नौज इस्लामी महीना में माहे रमजान ने नेकियो बरकतों का ख जाना वाला महीना है अन्य महीना की अपेक्षा इस माह में की जाने वाली हर एक नेकी का सवाब 70 गुना ज्यादा मिलता है इस महीने में खुद अपने बंदों के लिए जन्नत का दरवाजा खोल देता है वह जहन्नुम का दरवाजा बंद कर देता है इस महीने में इंसान को नेक कामों से बका कर बुराइयों की ओर ले जाने वाले शैतान जंजीरों में जाकड दिए जाते हैं ताकि यह लोगों की इबादत में दख़लंन न डाल सके रमजान माह में बांदा एक माह तक अल्लाह के नाम पर सुबह सादिक से लेकर आफताब सूर्यस्त तक भूखे प्यासे रहकर रोजा रखता है शाम को इफ्तार के वक्त मांगी गई हर एक दुआ खुदा कबूल फरमाता है इस माहे रोजगार अपने मानव मस्तिष्क को तिलावत कुरान नमाजे तरावीह जैसी इबादतों में मशगूल रहते हैं
हाफिज अहसन ने बताया कि रोजा खुदा को खुश करने का सबसे बड़ा इबादत है कुरान शरीफ में लिखा है कि ऐ ईमान वालों तुम पर रोज फर्ज किया गया है जैसा की उन पर फर्ज हुआ था जो तुमसे पहले हुए ताकि तुम गुनाहों से बचो हदीस शरीफ में आया है कि रमजान के पाक महीने में खुदा अपने बंदों पर खास मेहरबानी करता है इसी मुकद्दस महीने में कुरान मजीद भी नाजिल हुआ था सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम ही रोजा नहीं बल्कि हाथ पर आंख नाक कान जुबान आदि इंद्रियों को बुराइयों से बचाए रखना भी बेहद जरूरी है रोजा हमें दूसरों के दुख दर्द का एहसास करता है इस हर तरह से संपन्न अमीर ब रईस आदमी भी रमजान माह में भूखे-ब प्यासे से रहकर यह एहसास कराता है की मजबूरी में भूख व प्यास की शिद्दत में जिंदगी गुजारने वाले गरीबों का मुंह की हालत कैसी रहती होगी रमजान के महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया शुरुआत का 10 दिन रहमत का होता है इस दौरान खुदा अपने बंदों पर खास रहम करता है बाद का 10 दिन बरकत का होता है जिसमें खुदा अपने बंदों को बरकतों से भर देता है आखिरी 10 दिन मिश्रित का होता है माफ कर देता है इस पाक महीने में दीन दुखियों गरीब को खाना खिलाने व कपड़ा देने से विशेष शबाब मिलता है इस पाक महीने में प्रत्येक व नाबालिक बालिक मर्द ब औरत के तरफ से गरीबों को सदका देना वाजिब है वही हर दौलत बंद मुसलमान पर अपनी कुल संपत्ति का ढाई प्रतिशत भाग दीन दुखियों को जकात देना फर्ज है ले आज इस माह के हम वक्त को खुदा की इबादत से गुजरते हुए हमें समाज व मुल्क की भलाई व कामों में लगाना चाहिए