फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। आर्य प्रतिनिधि सभा के तत्वावधान में मेला रामनगरिया के वैदिक क्षेत्र में आयोजित ज्ञान ज्योति महोत्सव में सोमवार को पवित्र वेदों की ऋचाओं से यज्ञ किया गया। आचार्य चन्द्रदेव शास्त्री ने बताया कि सुखस्य मूलं धर्म मनुष्य जीवन के सुख का आधार धर्म है। धर्म रूपी वृक्ष पर सुख रूपी फल लगता है और अधर्म रूपी वृक्ष पर दुख रूपी फल लगता है। नीतिकार कहते हैं कि शरीर अनित्य है सदा रहने वाला नहीं है, भौतिक सम्पत्ति भी सदैव रहने वाली नहीं है और मृत्यु प्रति क्षण निकट आती जा रही है, अन्त में मनुष्य का सच्चा सखा धर्म ही है। इसलिए प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है कि जीवन में सुख प्राप्त करने के लिए धर्म रूपी धन का संचय अवश्य करना चाहिए। पण्डित धनीराम बेधडक़ ने भजनोपदेश के माध्यम से बताया कि धर्म का स्वरूप जानने के लिए वेद का स्वाध्याय करना अत्यावश्यक है, क्योंकि धर्म का मूल वेद है। वेद सत्ता के ज्ञान से विचार करने पर लाभ मिलता है। वेद का स्वाध्याय करने वालाए यज्ञ आदि शुभ कर्म करने वाला मनुष्य धार्मिक होता है और धार्मिक मनुष्य ही ईश्वर की कृपा का पात्र होता है। पण्डित हरिओम शास्त्री ने गीतों के माध्यम से प्रेरणा दी। मंच का संचालन पण्डित महावीर शास्त्री ने किया। स्वामी महेन्द्रानंद ने श्रोताओं को आशीर्वाद दिया। इस मौके पर उत्कर्ष आर्य, आचार्य ओमदेव आर्य, मंजीत आर्य, शिशुपाल आर्य, उदयराज आर्य, रत्नेश द्विवेदी, रेनू आर्य, शालिनी आर्या, उपासना कटियार आदि श्रोता उपस्थित रहे।।