48 साल बाद अगस्त में अरब सागर में बनने वाला पहला तूफान
अहमदाबाद/नई दिल्ली. देश के अधिकांश हिस्सों में इन दिनों दक्षिण-पश्चिम मानसून सक्रिय है. इस वजह से पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार से लेकर दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र तक में भारी से बहुत भारी बारिश हो रही है. मूसलाधार बारिश की वजह से गुजरात में हालात बेहद खराब हो चुके हैं. हर तरफ त्राहिमाम मचा हुआ है. बारिश से जुड़ी घटनाओं में दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों की तादाद में लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की ओर से नए संकट की चेतावनी दी गई है. IMD ने अरब सागर में चक्रवाती तूफान ‘आसना’ के एक्टिव होने की आशंका जताई है. चक्रवाती तूफान के शुक्रवार को कच्छ-पाकिस्तान तट से टकराने की बात कही गई है. IMD के वैज्ञानिक अरब सागर में इस समय चक्रवाती तूफान के सक्रिय होने पर हैरानी जताते हुए इसे रेयर मौसमी घटना बताया है. मूसलाधार बारिश का सामना कर रहे गुजरात पर अब नया खतरा मंडराने लगा है. IMD के मौसम विज्ञानियों ने बताया कि अरब सागर में कच्छ और पाकिस्तान से लगते तटवर्ती इलाकों चक्रवात डेवलप हो रहा है, जो शुक्रवार को तटवर्ती इलाकों से टकराएगा. एक बार पूरी तरह से डेवलप होने के बाद यह कमजोर हो जाएगा और कोस्टल एरिया से दूर होता जाएगा. मौसम विज्ञानियों ने बताया कि अरब सागर में उठने वाला चक्रवात उतना मजबूत या विनाशकारी नहीं है, लेकिन इसका असर गुजरात के कुछ हिस्सों में पड़ने की आशंका है. प्रदेश पहले से ही मानसूनी बारिश की चपेट में है और कई इलाके बाढ़ की चपेट में हैं.
मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा कि सौराष्ट्र और कच्छ के ऊपर बना गहरा दबाव क्षेत्र पश्चिम-दक्षिणपश्चिम की ओर बढ़ने तथा कच्छ और उससे सटे पाकिस्तान के तटों के पास उत्तर-पूर्व अरब सागर के ऊपर उभरने और शुक्रवार को चक्रवाती तूफान में तब्दील होने की संभावना है। जब यह चक्रवाती तूफान में तब्दील हो जाएगा तो इसका नाम असना रखा जाएगा। यह नाम पाकिस्तान ने दिया है। 1891 से 2023 तक अगस्त में अरब सागर के ऊपर केवल तीन चक्रवाती तूफान विकसित हुए हैं। मौसम विभाग ने बताया कि यह 1976 के बाद अगस्त में अरब सागर के ऊपर बनने वाला पहला चक्रवाती तूफान होगा। 1976 में चक्रवात ओडिशा में विकसित हुआ था। एक मौसम वैज्ञानिक ने कहा कि अरब सागर में अगस्त के महीने में चक्रवाती तूफानों का आना एक दुर्लभ गतिविधि है। 1944 का चक्रवात भी अरब सागर में उभरने के बाद तीव्र हो गया था। हालांकि बाद में समुद्र के मध्य में कमजोर हो गया था। 1964 में दक्षिण गुजरात तट के पास एक छोटा चक्रवात विकसित हुआ था और तट के पास कमजोर हो गया। इसी प्रकार, बंगाल की खाड़ी में पिछले 132 वर्षों के दौरान अगस्त महीने में कुल 28 ऐसी परिस्थितियां बनी हैं। मौजूदा तूफान के बारे में असामान्य बात यह है कि पिछले कुछ दिनों से इसकी तीव्रता एक समान बनी हुई है। यह उष्णकटिबंधीय तूफान दो प्रतिचक्रवाती तूफानों के बीच फंसा हुआ है एक तिब्बती पठार पर और दूसरा अरब प्रायद्वीप पर। आईएमडी के अनुसार, इस साल 1 जून से 29 अगस्त के बीच सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में 799 मिमी बारिश हुई है, जबकि इसी अवधि में सामान्य 430.6 मिमी बारिश होती है। इस अवधि में सामान्य से 86 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई। मध्य और उससे सटे उत्तरी बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक और कम दबाव का क्षेत्र पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने और शुक्रवार तक पश्चिम-मध्य और उससे सटे उत्तर-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी के ऊपर और अधिक चिह्नित होने की संभावना है। आईएमडी ने कहा, ‘इसके उत्तरी आंध्र प्रदेश और आसपास के दक्षिण ओडिशा तटों की ओर बढ़ने और रविवार तक पश्चिम-मध्य और इससे सटे उत्तर-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक दबाव में तब्दील होने की संभावना है।’