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गाय के दूध से ज्यादा गोबर और गौमूत्र की कीमत किसान समझे: रमाकांत उपाध्याय

उत्तर प्रदेश गौसेवा आयोग के सदस्य ने गौशाला का किया निरीक्षण
गौपालक को 50 रुपये प्रतिदिन खुराक के लिए देगी सरकार
बायो गैस, जैविक खाद, सौर ऊर्जा के लाभ के साथ आय होगी दोगुनी
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग ने गौ माता की हो रही दयनीय स्थिति को सुधारने के लिए खाका तैयार किया है। जिसके तहत गाय के दूध से ज्यादा गाय के गोबर और गौमूत्र की कीमत के महत्व को किसान भाईयों व गौपालकों को समझाया जायेगा, तभी गौमाता की जो रही है दशा उसमें सुधार आयेगा, यह बात आयोग के सदस्य रमाकांत उपाध्याय ने वार्ता के दौरान कही।
उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग के सदस्य रमाकांत उपाध्याय एक दिवसीय दौरे पर आये थे। उन्होंने बढ़पुर ब्लाक की एक गौशाला का निरीक्षण किया। बताया कि गौशाला में जो हमने देखा उससे तो लगता है कि सभी गौशालाओं में गऊमाता को हरा चारा, दाना, पानी खूब मिल रहा है। जब उनसे यह पूछा गया गौशाला होने के बाद भी बड़ी तादात में गौवंश छुट्टा घूम रहे है, जिससे किसानों की फसल बर्बाद हो रही है। वहीं आये दिन कोई न कोई अप्रिय घटना सांड़ के हमले से घटित होती है। इस पर बोले कि इन सभी समस्याओं का समाधान और किसान भाईयों की आय दोगुनी करने व उर्वरक के स्थान पर जैविक खाद का उपयोग करने का सरकार ने खाका तैयार किया है। मैं पांच माह पूर्व ही आयोग का सदस्य बना हूं। हमारी सरकार गाय की सुरक्षा के लिए काफी गंभीर है। उन्होंने बताया कि अब गौपालक को सरकार प्रतिदिन ५० रुपया एक गौवंश पर देगी। साथ ही सौर उर्जा सब्सिडी के तहत लगायी जायेगी, जिससे उनके घर में बिजली की समस्या नहीं होगी। साथ ही गाय के गोबर और गौ मूत्र का कैसे उपयोग करें इसका उन्हें प्रशिक्षण दिया जायेगा और बायो गैस का भी वह अपने घर में भोजन बनाने के लिए उपयोग कर पायेंगे। हर व्यक्ति अधिक से अधिक धन कमाने की चाहत रखता है। जब किसान को एक ही छत के नीचे बायो गैस, जैविक खाद, घर में बिजली के अलावा जो भी जैविक खाद अतिरिक्त बचेगी उसकी वह बिक्री कर सकते है। अभी तक किसान भाई केवल गाय के दूध का ही महत्व समझ रहे थे, अब सरकार दूध की कीमत से ज्यादा गाय के गोबर व गौ मूत्र की कीमत के महत्व को समझायेंगे और उसका मूल्य भी प्राप्त होगा, तभी गौरक्षा का सपना साकार होगा। सरकार अकेले कुछ नहीं कर सकती है। समाज को जागरुक होना होगा और इस योजना को अपनाने से गौरक्षा के साथ-साथ उनका परिवार मजबूत होगा। उनसे गौमाता को राष्ट्रीय पशु के दर्जे के संदर्भ में जब बात की तो बताया कि सरकार प्रयासरत है, लेकिन सभी को जागरुक होकर सहयोग करना होगा, तभी गौरक्षा का सपना साकार होगा। उन्होंने बताया कि कई गौशालाओं में कुछ कर्मी दोषी पाये गये जिन्हे सरकार ने रिपोर्ट दर्ज कराकर जेल भेजने का काम किया है। गौपालक व किसानों को जागरुक करने के लिए ब्लाक स्तर पर गोष्ठी का आयोजन किया जायेगा। गाय के गोबर व गौ मूत्र को रसायनिक उर्वरक के अलावा औषधि के रुप में भी इस्तेमाल किया जा रहा है और बड़ी-बड़ी बीमारियां जड़ से खत्म हो रही है। उन्होंने बताया कि डा0 राकेश तिवारी की गौशाला को भी देखा। बड़ा ही अच्छा लगा। डा0 राकेश तिवारी गौमूत्र को पानी के साथ होने वाली फसल में लगाकर उच्च कोटि की फसल तैयार कर रहे है। गौमाता से प्राप्त होने वाले गोबर व गौमूत्र का उपयोग कर गुड़ से लेकर कई प्रकार के खाद्य पदार्थ बनाकर लोगों की सेवा कर रहे है। गौसेवा आयोग के सदस्य ने बताया कि इसे अपनाने से धीरे-धीरे किसान जो यूरिया के हो-हल्ला कर रहा है यूरिया का नाम लेना भूल जायेगा और जैविक खाद को याद करेगा। इसके उपयोग करने से शुद्ध व अच्छी फसल की पैदावार होगी और जिसका वाजिव मूल्य भी किसान भाइयों को मिलेगा। उन्होंने कई बिन्दुओं पर जबाव देने के बजाय यह कहकर टाल दिया कि मुझे अभी पांच माह ही हुए है, जैसे-जैसे जानकारी होगी वैसे-वैसे सुधार किया जायेगा।

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