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रामचंद्र यादव की जीत: तिरुमला मंदिर भूमि पट्टा रद्द, सीएम चंद्रबाबू नायडू का बड़ा ऐलान

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आखिरकार विवादित 35 एकड़ तिरुमला मंदिर भूमि पट्टे को रद्द करने की घोषणा कर दी है। यह फैसला प्रदेश में धार्मिक भावनाओं की जीत के रूप में देखा जा रहा है। इस बड़े फैसले के पीछे सबसे अहम भूमिका निभाई है बीसीवाई पार्टी अध्यक्ष रामचंद्र यादव ने, जिनकी अगुवाई में चलाए गए आंदोलन ने पूरे प्रदेश में जोर पकड़ा और सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए मजबूर होना पड़ा।

क्या है पूरा मामला?

आंध्र प्रदेश सरकार ने तिरुमला की पवित्र पहाड़ियों के पास 35 एकड़ भूमि को मुमताज होटल्स को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए आवंटित किया था। इस निर्णय के बाद प्रदेश भर में धार्मिक संगठनों, संत समाज और भक्तों ने इसका तीखा विरोध किया।
विरोध के बावजूद सरकार अपने फैसले पर अडिग रही और भूमि पट्टा रद्द करने से इनकार कर दिया।

रामचंद्र यादव का बड़ा आंदोलन

जब पहले के सभी विरोधों के बावजूद सरकार ने कदम नहीं उठाया, तब बीसीवाई पार्टी अध्यक्ष रामचंद्र यादव ने आंदोलन की कमान संभाली। उन्होंने तिरुमला की पवित्रता की रक्षा के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए 17 मार्च को अलीपीरी से तिरुमला तक विशाल पदयात्रा का आयोजन किया। इस यात्रा में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और ओडिशा से आए सैकड़ों स्वामीजी भी उनके साथ शामिल हुए।
तिरुमला पहुंचने के बाद यादव ने अपने समर्थकों और संत समाज के साथ वहां जोरदार धरना दिया। उन्होंने सरकार से भूमि पट्टा रद्द करने के लिए 7 दिन का अल्टीमेटम दिया और स्पष्ट कहा कि यदि सरकार समय रहते निर्णय नहीं लेती है, तो आंदोलन और तेज होगा।

जनता का दबाव और सरकार का फैसला

रामचंद्र यादव के नेतृत्व में चलाए गए इस आंदोलन ने प्रदेश भर में भारी जनसमर्थन हासिल किया। सोशल मीडिया पर यह आंदोलन वायरल हो गया, जिससे सरकार पर दबाव तेजी से बढ़ने लगा। पहले के सभी आंदोलनों को नजरअंदाज करने वाली सरकार को इस बार जनता के आक्रोश और यादव के कड़े रुख के चलते झुकना पड़ा।
स्थिति को बिगड़ते देख, टीटीडी कार्यकारी अधिकारी ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में शपथ पत्र दायर कर विवादित भूमि पट्टे को रद्द करने की सिफारिश की।

सीएम चंद्रबाबू नायडू का बड़ा ऐलान

आखिरकार, कल अपनी तिरुमला यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने ऐलान किया कि मुमताज होटल्स को आवंटित 35 एकड़ भूमि का पट्टा अब रद्द किया जाएगा।

सीएम नायडू ने इसके साथ ही कुछ और बड़े फैसलों की घोषणा की:

गैर-धार्मिक व्यक्तियों को तिरुमला से स्थानांतरित किया जाएगा ताकि क्षेत्र की आध्यात्मिक पवित्रता बनी रहे।
भविष्य में व्यावसायिक भूमि आवंटन केवल तिरुमला के सीमावर्ती क्षेत्रों में ही किया जाएगा, ताकि पवित्र स्थल का स्वरूप सुरक्षित रहे।

रामचंद्र यादव ने जताया आभार, दी चेतावनी

इस ऐतिहासिक जीत पर रामचंद्र यादव ने संत समाज, भक्तों और अपने समर्थकों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि यह जीत भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के भक्तों की है, जिन्होंने धर्म की रक्षा के लिए एकजुट होकर सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए विवश किया।
हालांकि यादव ने सरकार को आगाह किया कि उनकी बाकी मांगों पर भी तुरंत विचार किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि बाकी मांगों पर सरकार जल्द फैसला नहीं लेती है तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

रामचंद्र यादव की प्रमुख मांगें:

35 एकड़ भूमि पट्टे का रद्दीकरण
गैर-धार्मिक व्यक्तियों का तिरुमला से स्थानांतरण
तिरुमला की सांस्कृतिक एवं धार्मिक पवित्रता बनाए रखने के लिए सख्त नियमों का कार्यान्वयन

धार्मिक आस्था की बड़ी जीत

यह फैसला पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है। भक्तों ने रामचंद्र यादव को तिरुमला का ‘रक्षक’ बताया है, जिन्होंने अपने साहस और नेतृत्व के बल पर तिरुमला की पवित्र भूमि को सुरक्षित किया।

रामचंद्र यादव का यह आंदोलन न सिर्फ धर्म और आस्था की जीत है, बल्कि यह दिखाता है कि जब नेतृत्व मजबूत हो और जनता का समर्थन साथ हो, तो बड़े से बड़ा फैसला भी बदला जा सकता है।

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