यूपी में बीजेपी की हार के कारणों की समीक्षा

  • यूपी में भाजपा की हार का कारणों की समीक्षा, आई 15 पेज की रिपोर्ट
  • संविधान संशोधन वाले बयानों का असर चुनाव रिजल्ट पर दिखा
  • गैर जाटव एससी और गैर यादव ओबीसी वोट भाजपा से छिटके

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की हार का कारण सामने आया है। भाजपा की समीक्षा रिपोर्ट सामने आई है। इसमें साफ हुआ है कि प्रदेश के सभी क्षेत्रों में भाजपा के वोट घटे। तमाम इलाकों में सीटों का नुकसान पार्टी को झेलना पड़ा। पार्टी के मजबूत इलाके अवध, काशी, गोरखपुर क्षेत्र में भी पार्टी की सीटें घटी। भाजपा की समीक्षा रिपोर्ट में कई अहम बातें सामने आई हैं। पार्टी ने समीक्षा का बिंदू यूपी में बीजेपी क्यों हारी रखा। सूत्रों के हवाले से आई समीक्षा रिपोर्ट में माना गया है कि भाजपा के लिए संविधान संशोधन वाले बयान भारी पड़े। पार्टी की ओर से यूपी की 78 सीटों पर करीब 40 टीमों ने समीक्षा की। करीब 40 हजार कार्यकर्ताओं से बात की गई। इसमें माना गया है कि पिछड़ी जातियां भाजपा से अलग हुई। हार की समीक्षा की 15 पेज की रिपोर्ट में 12 कारण गिनाए गए हैं। अब इस समीक्षा रिपोर्ट पर राष्ट्रीय स्तर पर बैठक में चर्चा होगी।

हार के 12 कारण…

1- संविधान संशोधन को लेकर बीजेपी नेताओं की टिप्पणी. विपक्ष का “आरक्षण हटा देंगे” का नैरेटिव बना देना.
2- प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक का मुद्दा.
3- सरकारी विभागों में संविदा कर्मियों की भर्ती और आउटसोर्सिंग का मुद्दा.
4- बीजेपी के कार्यकर्ताओं में जिलो में सरकारी अधिकारियों को लेकर असंतोष की भावना.
5- जिले लेवल पर आपसी लड़ाई का जिक्र जिसमे विधायक, प्रत्याशी और जिलाध्यक्ष के भी नाम शामिल .
6- बीएलओ द्वारा बड़ी संख्या में मतदाता सूची से नाम हटाए गए.
7- टिकट वितरण में जल्दबाजी की गई जिसके कारण भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं का उत्साह कम हुआ.
8- थाने और तहसीलों को लेकर काम न होने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी.
9- सवर्ण मतदाता कुछ लोकसभा में भाजपा से दूर चले गए.
10- पिछड़ों में कुर्मी, कुशवाहा, शाक्य का भी झुकाव नहीं रहा.
11- अनुसूचित जातियों में पासी व वाल्मीकि मतदाता का झुकाव सपा- कांग्रेस की ओर चला गया.
12- बसपा के प्रत्याशियों ने मुस्लिम व अन्य के वोट नही काटे बल्कि जहां बीजेपी समर्थक वर्गों के प्रत्याशी उतारे गए वहां वोट काटने में सफल रहे.

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