जेलर की बेटी को नेत्रदान कर दिया था दुनिया को प्यार का संदेश
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। वैलेन्टाइन-डे 14 फरवरी को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत रोम के एक राजा क्लॉडियस के समय में हुई थी। कहा जाता है कि उस समय रोम में एक पादरी थे जिनका नाम संत वैलेन्टाइन था। उन्हीं के नाम पर वैलेन्टाइन-डे मनाने की शुरुआत हुई। वैलेन्टाइन-डे की शुरुआत रोमन फेस्टिवल से हुई थी। दुनिया में पहली बार ४९६ में वैलेन्टाइन-डे मनाया गया थ। वैलेन्टाइन-डे मनाने के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। इसके बारे में आज लोग जानें। फरवरी का महीना तकरीबन सभी को पसन्द होता है। इस महीने में ही वैलेन्टाइन-डे वीक आता है। जिसका इंतजार प्रेमी जोड़े साल भर करते हैं। पूरे वैलेन्टाइन-डे वीक लोग एक दूसरे से प्यार का इजहार करता है। वहीं 14 फरवरी को इस प्यार भरे हफ्ते के आखिरी दिन वैलेन्टाइन-डे मनाते हैं। हर कोई अपने तरीके से वैलेन्टाइन-डे सेलीब्रेट करता है।
सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि कई देशों में वैलेन्टाइन-डे मनाया जाता है। इसके इतिहास के पीछे संत वैलेन्टाइन की कहानी है। उनकी कहानी किसी के प्यार और बलिदान को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि संत वैलेन्टाइन हमेशा से ही दुनिया में प्यार को बढ़ावा देने की बात कहते थे। पर ये बात वहां के राजा क्लाडियस को पसंद नहीं थी। राजा का ऐसा मानना था कि प्यार और शादी पुरुषों की शक्ति को खत्म कर देगी। इसी के चलते राजा ने यह आदेश पारित कर दिया कि राज्य के अधिकारी और सैनिक शादी नहीं कर सकते। जब संत वैलेन्टाइन को इसकी जानकारी हुई, तो उन्होंने इसका विरोध किया उन्होंने सेना के कई अधिकारियों की शादी करायी। जब राजा को यह बात पता चली, तो उन्होंने १४ फरवरी २५९ के दिन संत वैलेन्टाइन को फांसी पर चढ़ा दिया। उने निधन के बाद लोगों ने उनके बलिदान को सम्मान दिया। उनकी यह दिन मनाया जाता है। उन्होंने अपने मरने से पहले जेलर की बेटी जैकोबस को नेत्रदान कर दिये। इस बलिदान के पीछे संत बेलेन्टाइन को लोग याद करते हैं। तभी से इस दिन संत वैलेन्टाइन-डे के नाम से मनाया जाता है।