न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने मामले में दो फैसले सुनाए। फैसला सुनाते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा कि कोर्ट ने वीवीपैट से जुड़ीं सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिनमें बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने की मांग वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग के दौरान आज सुप्रीम कोर्ट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों के साथ वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों का मिलान वाली याचिका पर अपना फैसला सुनाया है. जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि दो फैसले हैं, सहमति वाले. हमने प्रोटोकॉल, तकनीकी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की है. हमने सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं. हमने दो निर्देश दिए हैं. एक निर्देश ये है कि सिंबल लोडिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट को सील कर दिया जाना चाहिए. एसएलयू को कम से कम 45 दिनों की अवधि के लिए संग्रहित किया जाना चाहिए. जस्टिस खन्ना ने कहा कि क्रम संख्या 2 और 3 में उम्मीदवारों के अनुरोध पर परिणाम घोषित होने के बाद माइक्रोकंट्रोलर ईवीएम में जली हुई मेमोरी की जांच इंजीनियरों की एक टीम द्वारा की जाएगी, ऐसा अनुरोध परिणाम घोषित होने के 7 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए. सत्यापन का खर्च अनुरोध करने वाले उम्मीदवारों द्वारा वहन किया जाएगा, यदि ईवीएम से छेड़छाड़ पाई जाती है तो खर्च वापस कर दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने दो निर्देश दिए हैं- पहला यह है कि सिंबल लोडिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) को सील कर दिया जाना चाहिए और उन्हें कम से कम 45 दिनों के लिए सहेज कर रखा जाना चाहिए। इसके अलावा दूसरा निर्देश यह है कि उम्मीदवारों के पास परिणामों के एलान के बाद इंजीनियरों की एक टीम की ओर से जांचे जाने वाले ईवीएम के माइक्रोकंट्रोलर प्रोग्राम को पाने का विकल्प होगा। इसके लिए उम्मीदवार को नतीजों के एलान के सात दिनों के अंदर आवेदन करना होगा। इसका खर्च भी उम्मीदवार को खुद को उठाना होगा।