समृद्धि न्यूज| 2019 के लोकसभा चुनाव में करीब 30 करोड़ लोगों ने वोट नहीं दिया था। खासकर शहरी मतदाताओं, युवाओं और प्रवासी मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कम कर रहे हैं।
आजादी के बाद से देश में मतदाताओं की संख्या छह गुना बढ़ चुकी है। एक जनवरी को देश में कुल मतदाताओं की संख्या बढ़कर 94.50 करोड़ हो गई है। खबर के अनुसार, साल 1951 में देश में कुल मतदाता 17.32 करोड़ थे, जो अब बढ़कर 94,50,25,694 से ज्यादा हो गए हैं। हालांकि चुनाव आयोग के लिए चिंता की बात ये है कि बीते लोकसभा चुनाव में करीब एक तिहाई मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं किया था। ऐसे में मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक लाने के लिए चुनाव आयोग को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
आंकड़ों के अनुसार, साल 1951 में हुए आम चुनाव में देश के 45.67 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट दिया था। उसके बाद से मतदाताओं और मतदान प्रतिशत में लगातार बढ़ोतरी हुई है। साल 1957 के आम चुनाव में देश में कुल मतदाता बढ़कर 19.37 करोड़ हो गए थे और चुनाव के दौरान 47 फीसदी मतदाताओं ने वोट किया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में करीब 30 करोड़ लोगों ने वोट नहीं दिया था। खासकर शहरी मतदाताओं, युवाओं और प्रवासी मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कम कर रहे हैं।

प्रवासी मतदाताओं का नाम तो अपने गृह राज्य की वोटर लिस्ट में है लेकिन वह किसी और जगह काम करते हैं, जिसके चलते कई कारणों से ऐसे मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं कर पाते। चुनाव आयोग इससे निपटने के लिए रिमोट वोटिंग टेक्नॉलोजी का प्रस्ताव दिया है लेकिन इसके लिए राजनीतिक मंजूरी और विधायी ढांचे में बदलाव की जरूरत होगी। इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव और अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में मतदाताओं को ज्यादा से ज्यादा अपने मताधिकार का इस्तेमाल को प्रेरित करने के लिए चुनाव आयोग कई योजनाओं पर काम कर रहा है।
साल 1962 के आम चुनाव में पहली बार 50 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाला और इस दौरान कुल वोटर्स की संख्या 21 करोड़ को पार कर चुकी थी। 2009 के आम चुनाव में रजिस्टर्ड मतदाता 71 करोड़ हो गए थे और 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर 83 करोड़ हो गया था। 2019 में कुल वोटर्स 91 करोड़ थे और 67 फीसदी ने वोट किया था।