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वक्फ बोर्ड ने इस पूरे गांव पर कर दिया दावा, 1500 साल पहले शिवजी को दान की गई तिरुचेंथुरई गांव की जमीन 

देशभर में इस वक्त केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर चर्चाएं जारी हैं। संसद के निचले सदन लोकसभा में बुधवार को वक्फ संशोधन विधेयक पेश कर दिया गया है और इस पर चर्चा हो रही है। माना जा रहा है कि सरकार आसानी से इस बिल को राज्यसभा और लोकसभा दोनों में ही पास करवा लेगी। हालांकि, विपक्षी दल और AIMPLB समेत कई मुस्लिम संगठन इस बिल का जमकर विरोध कर रहे हैं। वक्फ बिल को लेकर मचे इस हंगामे के बीच तमिलनाडु के एक गांव तिरुचेंदुरई की कहानी सामने आई है। दरअसल, इस पूरे गांव की जमीन पर वक्फ बोर्ड ने दावा करते हुए इसे अपना बता दिया था।

केंद्र सरकार ने संसद में गुरुवार को वक्फ संशोधन बिल पेश किया. वक्फ पर जारी राजनीतिक विवाद के बीच, तमिलनाडु का एक गांव भी चर्चा के केंद्र में है. बता  दें कि त्रिची के श्रीरंगम निर्वाचन क्षेत्र में स्थित तिरुचेंथुरई गांव का उल्लेख केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में विधेयक  पेश करते समय किया था, जब विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया. विधेयक के खिलाफ उठ रही आवाजों के बीच, एनडीए सरकार ने इसे जेपीसी को आवश्यक सिफारिशों के लिए भेज दिया था. तब अपने संबोधन में रिजिजू ने कहा था कि ‘त्रिची के तिरुचेंथुरई गांव में कई एकड़ जमीन को वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित किया गया है.

त्रिची के तिरुचेंथुरई का 2000 साल पुराना इतिहास

त्रिची के तिरुचेंथुरई गांव का ये मामला उलझा हुआ क्यों है और वक्फ की ओर से की गई मनमर्जी का कैसे उदाहरण बन जाती है, इन सवालों का जवाब इस गांव का इतिहास देता है. समय के पहिए पर सवार होकर अगर हम तकरीबन 1500 साल पीछे जाएं तो कावेरी नटी के तटीय डेल्टा क्षेत्र के किनारे बसा ये गांव करीब 2000 साल का लिखित इतिहास समेटे हुए है. 1500 साल का जिक्र इसलिए, क्योंकि इस गांव में मौजूद पौराणिक-ऐतिहासिक मनेंडियावल्ली चंद्रशेखर स्वामी मंदिर मंदिर लगभग इतना ही पुराना है.

माना जाता है कि चोल शासकों ने दक्षिण विजय के बाद, जीत का श्रेय महादेव शिव के आशीर्वाद को देते हुए, उनके नाम से जमीन समर्पित करते हुए इस मंदिर का निर्माण कराया था. तिरुचेंथुरई का पौराणिक महत्व मुख्य रूप से कावेरी नदी और इसके तट पर स्थित चंद्रशेखर स्वामी मंदिर से जुड़ा है. हिंदू पौराणिक कथाओं में कावेरी को एक पवित्र नदी माना जाता है, जिसकी उत्पत्ति ऋषि अगस्त्य के कमंडल से हुई थी. पुराणों के अनुसार, जब एक कौवे ने ऋषि अगस्त्य के कमंडल को उलट दिया, तब कावेरी नदी का जन्म हुआ. इस नदी के तट पर बसे गांवों को धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण समझा जाता है, और तिरुचेंथुरई भी इससे अलग नहीं है.

वक्फ ने पूरे गांव की जमीन पर जताया अधिकार

साल 2022 में राजगोपाल नाम के एक किसान ने अपनी खेती की जमीन बेचने की कोशिश की। राजगोपाल को लोन चुकाना था, लेकिन वो अपनी जमीन बेच नहीं पाए। दरअसल, राजगोपाल को रजिस्ट्रार ऑफिस से कहा गया कि वक्फ़ ने इस पूरे गांव की सारी जमीन पर अपना अधिकार जताया है। ऐसे में बिना वक्फ बोर्ड की NOC के कोई जमीन खरीदी या बेची नहीं जा सकती। यहां तक कि रजिस्ट्रार दफ्तर में इस बाबत एक नोटिस भी चस्पा कर दिया गया।

राज्य सरकार ने किया था हस्तक्षेप

जब इस मसले को लेकर बवाल मच गया तो DMK सरकार ने दखल दिया और कहा कि जमीन की रजिस्ट्री के लिए वक्फ़ बोर्ड से NOC की कोई जरूरत नहीं है। इसके बाद पिछले 3 सालों में गांव की कई जमीनों की बिक्री भी हुई, लेकिन तमिलनाडु वक्फ़ बोर्ड अभी भी इस दावे पर कायम है कि गांव की जमीन वक्फ़ की है। हालांकि, इससे जुड़ा कोई डॉक्यूमेंट अब तक पब्लिक नहीं किया गया है।

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